अपनों से हटकर अपनों को भुलाना आसान नहीं था.
अपनों को ही याद किया अपनों को भुलाने के लिए...
फ़रीद भारतीय
प्यार का पहला ख़त लिखने में वक़्त तो लगता है,
नये परिन्दों को उड़ने में वक़्त तो लगता है,,
जिस्म की बात नहीं थी उनके दिल तक जाना था,
लम्बी दूरी तय करने में वक़्ततो लगता है,,
गाँठ अगर पड़ जाएतो फिर रिश्ते हों या डोरी,
लाख करें कोशिश खुलने में वक़्त तो लगता है,,
हमने इलाज-ए-ज़ख़्म-ए-दिल तो ढूँढ़ लिया है,
गहरे ज़ख़्मों को भरने में वक़्त तोलगता है...
जो देखते हैं वही लिखने के आदी हैं,
अपनी क़ौम के सबसे बड़े फसादी हैं...
फ़रीद भारतीय