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Saturday 21 January 2012


तेरे ग़म के पनाह में अर्से बिते
तेरे ग़म के पनाह में अर्से बिते,
आरजू के गुनाह में अर्से बिते,,


बेज़ार मैं रोती रही, वो बे-इन्तेहाँ हँसता रहा
बेज़ार मैं रोती रही, वो बे-इन्तेहाँ हँसता रहा,
वक़्त का हर एक कदम, राहे ज़ुल्म पर बढ़ता रहा।

वक़्त नहीं है कहते कहते वक़्त निकल गया
वक़्त नहीं है कहते कहते वक़्त निकल गया,
जुबान से हर वक़्त यही जुबला फिसल गया।


धूप भी प्यार का ही एहसास है
धूप भी प्यार का ही एहसास है,
लगता है जैसे कोई आस पास है।

प्यादे बहुत मिले मगर वज़ीर न मिला
प्यादे बहुत मिले मगर वज़ीर न मिला,
सबकुछ लुटा दे ऐसा दानवीर न मिला।


शाम होते ही शरारतों की याद आती है
शाम होते ही शरारतों की याद आती है,
चमकती तेरी आँखों की याद आती है।

बेरुखी ऐसी की छिपाए न बने
बेरुखी ऐसी की छिपाए न बने,
बेबसी ऐसी की बताए न बने।

घाव ठीक हो गया दर्द अभी बाकी है
घाव ठीक हो गया दर्द अभी बाकी है,
पेड़ पर पत्ता कोई ज़र्द अभी बाकी है।

सजल नर्म चांदनी तो खो गयी रात में,
धूप निकल गयी हवा सर्द अभी बाकी है।

आइना तू मुस्कराना न भूलना कभी,
चेहरे पर जमी हुई गर्द अभी बाकी है।

इंसान मर चूका इंसान के अन्दर का,
अन्दर का शैतान मर्द अभी बाकी है।

जाने किस हाल में हैं आगे चले गये वो,
यहाँ तो सफ़र की गर्द अभी बाकी है।

"फरीद" मेरे हाथों की लिखी हुई तहरीर में,
वहशते-दिल का दर्द अभी बाकी है।

किताब आदमी को आदमी बनाती है
किताब आदमी को आदमी बनाती है,
बेकद्री इनकी दिल को जख्मी बनाती है।

इतनी बेरूखी कभी अच्छी नहीं
इतनी बेरूखी कभी अच्छी नहीं,
ज्यादा दीवानगी भी अच्छी नहीं।

मैंने तेरे नाम चाहतें लिख दी
मैंने तेरे नाम चाहतें लिख दी,
आँखों की तमाम हसरतें लिख दी।

आज की रात यूं ही गुज़र जाने दे
आज की रात यूं ही गुज़र जाने दे,
पहलू में नई शय उभर जाने दे।

न बादल होता न बरसात होती
न बादल होता न बरसात होती,
दिन अगर न होता न रात होती।

एक बार लब से छुआ कर तो देखिये
एक बार लब से छुकर तो देखिये,
चीज़ लाजवाब है पीकर तो देखिये।

लकीर चेहरे पर उम्र का पता देती है
लकीर चेहरे पर उम्र का पता देती है
लकीर हाथ की मुकद्दर का पता देती है।

जवानी अपनी जवानी पर थी
जवानी अपनी जवानी पर थी
निगाहें उसकी जवानी पर थी।

जिंदगी पाँव में घुँघरू बंधा देती है
जिंदगी पाँव में घुँघरू बंधा देती है
जब चाहे जैसे चाहे नचा देती है।

रोज़ रोज़  जशन या जलसे नहीं होते
रोज़ रोज़  जशन या जलसे नहीं होते,
मोती क़दम क़दम पे बिखरे नहीं होते।

हाथों में रची मेहँदी और झूले पड़े हैं
हाथों में रची मेहँदी और झूले पड़े हैं
पिया क्यों शहर में मुझे भूले पड़े हैं।

पत्थर पत्थर है कहाँ पिघलता है
पत्थर पत्थर है कहाँ पिघलता है
मोम नर्म दिल है तब ही जलता है।

दौरे-उल्फत की हर बात याद है मुझे
दौरे-उल्फत की हर बात याद है मुझे
तुझसे हुई वह मुलाकात याद है मुझे।

कल के रहजन बन गये शहरयार, देखिए

कल के रहजन बन गये शहरयार, देखिए,
वैशाखियों पे चल रही ये सरकार, देखिए,,


गुज़रे हुए जमाने की याद दिला दी
गुज़रे हुए जमाने की याद दिला दी,
मेरे ही अफ़साने की याद दिला दी।

पेड़ गिरा तो उसने दिवार ढहा दी
पेड़ गिरा तो उसने दिवार ढहा दी
फिर एक मुश्किल और बढ़ा दी।

ऐसी महगॉई मै क्या करे आदमी
ऐसी महगॉई मै क्या करे आदमी,
पेट बच्चो का कैसे भरे आदमी,,


शीत लू वर्षा को भी क्यों मुपफ़लिसी से बैर है
अब कहां पहले सी खुश्बू है सुमन बदला हुआ,
है हवा बदली हुयी रंग ए चमन बदला हुआ।

हरेक तालाब  की हिमायत करूंगा
हरेक तालाब  की हिमायत करूंगा,
समंदर मिला तो शिकायत करूंगा।

हादसा मुझ से बच कर निकल गया
हादसा मुझ से बच कर निकल गया
ग़मज़दा लेकिन वो मुझे कर गया।

जानते तो हैं मगर वो मानते नहीं
जानते तो हैं मगर वो मानते नहीं
किसी को भी कुछ कभी बांटते नहीं।

बेगाना मुझे गैर बता कर चले गये
बेगाना मुझे गैर बता कर चले गये
वो एक नया शोर मचाकर चले गये।

गली गली मैख़ाने हो गये
गली गली मैख़ाने हो गये
कितने लोग दीवाने हो गये।

नश्तर हमें ही फिर भी चुभाओगे कब तलक

बच्चे की ज़िद है महंगी बहाना भी नहीं है,
बच्चे की ज़िद है महंगी बहाना भी नहीं है,
मिट्टी के खिलौनों का ज़माना भी नहीं है।

पुराने किसी ज़ख्म का खुरंट उतर गया

पुराने किसी ज़ख्म का खुरंट उतर गया
दिल का सारा दर्द निगाहों में भर गया।


मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं

मौसम कभी मुक़द्दर को मनाने में लगे हैं
मुद्दत से हम खुद को बचाने में लगे हैं।
मिटजाऊं वतन पर ये मेरे दिल मै लगन है
मिट जाऊं वतन पर ये मेरे दिल मै लगन है,
नजरो मै मेरी कब से तिरंगे का कफन है,,


जिन्दगी खूब बहुत खूब गुजारी मैने

जिन्दगी खूब बहुत खूब गुजारी मैने,
अपने अजदाद की पगडी भी सभाली मैने,,




ये आजमा के देख लिया इस जहान में,

ये आजमा के देख लिया इस जहान में,
रुसवाइयों का डर है फक्त झूठी शान में,,