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Sunday 29 April 2012

आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए नाशाद आया- साहिर लुधियानवी


आप आए तो ख़याल-ए-दिल-ए नाशाद आया
कितने भूले हुए ज़ख़्मों का पता याद आया

आप के लब पे कभी अपना भी नाम आया था

अब आए या न आए इधर पूछते चलो- साहिर लुधियानवी


अब आए या न आए इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो

हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ

इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा- साहिर


साहिर लुधियानवी
वो सुबह कभी तो आएगी

इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा

मुसव्विर मैं तेरा शाहकार वापस करने आया हूं- साहिर लुधियानवी

शाहकार / साहिर लुधियानवी
मुसव्विर मैं तेरा शाहकार वापस करने आया हूं
अब इन रंगीन रुख़सारों में थोड़ी ज़िदर्यां भर दे
हिजाब आलूद नज़रों में ज़रा बेबाकियां भर दे

ये कूचे ये नीलामघर दिलक़शी के- साहिर लुधियानवी


ये कूचे ये नीलामघर / साहिर लुधियानवी
ये कूचे ये नीलामघर दिलक़शी के
ये लुटते हुए कारवां ज़िंदगी के
कहां हैं कहां हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के

पहलू-ए-शाह में ये दुख़्तर-ए-जमहूर की क़बर- साहिर लुधियानवी

नूरजहाँ की मज़ार पर / साहिर लुधियानवी
पहलू-ए-शाह में ये दुख़्तर-ए-जमहूर की क़बर
कितने गुमगुश्ता फ़सानों का पता देती है
कितने ख़ूरेज़ हक़ायक़ से उठाती है नक़ाब
कितनी कुचली हुइ जानों का पता देती है

मैने हरचन्द गमे-इश्क को खोना चाहा- साहिर लुधियानवी


नाकामी / साहिर लुधियानवी

मैने हरचन्द गमे-इश्क को खोना चाहा,
गमे-उल्फ़त गमे-दुनिया मे समोना चाहा!

वही अफ़साने मेरी सिम्त रवां हैं अब तक,

तेरा ख़याल दिल से मिटाया नहीं अभी- 'फरीद'


तेरा ख़याल दिल से मिटाया नहीं अभी
बेदर्द मैं ने तुझ को भुलाया नहीं अभी

कल तूने मुस्कुरा के जलाया था ख़ुद जिसे

ताज तेरे लिये इक मज़हर-ए-उल्फ़त[1]ही सही - साहिर लुधियानवी


ताज
ताज तेरे लिये इक मज़हर-ए-उल्फ़त[1]ही सही 
तुझको इस वादी-ए-रंगीं[2]से अक़ीदत[3] ही सही

अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश - साहिर लुधियानवी


साहिर लुधियानवी
अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश
मुद्दतों ज़ीस्त को नाशाद किया है मैनें

Thursday 19 April 2012

ज़िंदगी अभिशाप भी, वरदान - एस ऍम फरीद "भारती"

ज़िंदगी अभिशाप भी, वरदान भी
ज़िंदगी दुख में पला अरमान भी
कर्ज़ साँसों का चुकाती जा रही

ये दुनिया इस तरह क़ाबिल - एस ऍम फरीद "भारती"

ये दुनिया इस तरह क़ाबिल हुई है
कि अब इंसानियत ग़ाफ़िल हुई है

सहम कर चाँद बैठा आसमाँ में

जिनके दिल में गुबार रहते हैं - एस ऍम फरीद "भारती"

जिनके दिल में गुबार रहते हैं
यार वो बादाख़्वार रहते हैं

कि जहाँ ओहदेदार रहते हैं

अगरचे मोहब्बत जो धोखा - एस ऍम फरीद "भारती"

अगरचे मोहब्बत जो धोखा रही है
तो क्यों शमा इसकी हमेशा जली है

हमारे दिलों को वही अच्छे लगते

मुझे पिला के ज़रा-सा क्या - एस ऍम फरीद "भारती"

मुझे पिला के ज़रा-सा क्या गया कोई
मेरे नसीब को आकर जगा गया कोई

मेरे क़रीब से होकर गुज़र गई दुनिया

उदासी के समंदर को छुपाकर - एस ऍम फरीद "भारती"

उदासी के समंदर को छुपाकर मन में रख लेना
किसी की बद्दुआओं को दुआ के धन में रख लेना

हज़ारों लोग मिलते हैं मगर क्या फ़र्क पड़ता है

मुद्दत के बाद मोम की मूरत- एस ऍम फरीद "भारती"

मुद्दत के बाद मोम की मूरत में ढल गया
 मेरी वफ़ा की आँच में पत्थर पिघल गया

उसका सरापा हुस्न जो देखा तो यों लगा

तुम जो साथ हमारे होते - एस ऍम फरीद "भारती"

तुम जो साथ हमारे होते
कितने हाथ हमारे होते
दूर पहुँच से होते जो भी
बिल्कुल पास हमारे होते

पेड़ की छाँव में, बैठे-बैठे सो - एस ऍम फरीद "भारती"

पेड़ की छाँव में, बैठे-बैठे सो गए
तुमने मुसकुरा कर देखा, हम तेरे हो गए

तमन्ना जागी दिल में, तुम्हें पाने की

कहने को तो हम, खुश अब - एस ऍम फरीद "भारती"

कहने को तो हम, खुश अब भी हैं
हम तुम्हारे तब भी थे, हम तुम्हारे अब भी हैं

रूठने-मनाने के इस खेल में, हार गए हैं हम
हम तो रूठे तब ही थे, आप तो रूठे अब भी हैं

उजड़े हुए चमन का, मैं तो - एस ऍम फरीद "भारती"

उजड़े हुए चमन का, मैं तो बाशिंदा हूँ
कोई साथ है तो लगता है, मैं भी अभी ज़िंदा हूँ

ज़िंदगी अब लगती है, बस इक सूनापन

हर सितम हर ज़ुल्म जिसका - एस ऍम फरीद "भारती"

हर सितम हर ज़ुल्म जिसका आज तक सहते रहे
हम उसी के वास्ते हर दिन दुआ करते रहे

दिल के हाथों आज भी मजबूर हैं तो क्या हुआ

सितम जिसने किया मुझ पर- एस ऍम फरीद "भारती"

सितम जिसने किया मुझ पर उसे अपना बनाया है
तभी तो ऐसा लगता है कि वो मेरा ही साया है

उदासी के अँधेरों ने जहाँ रस्ता मेरा रोका

यादों ने आज फिर मेरा दामन - एस ऍम फरीद "भारती"

यादों ने आज फिर मेरा दामन भिगो दिया
दिल का कुसूर था मगर आँखों ने रो दिया

मुझको नसीब था कभी सोहबत का सिलसिला

बेमुरव्वत है मगर दिलबर है - एस ऍम फरीद "भारती"

बेमुरव्वत है मगर दिलबर है वो मेरे लिए
हीरे जैसा कीमती पत्थर है वो मेरे लिए

हर दफा उठकर झुकी उसकी नज़र तो यों लगा

उसने जो चाहा था मुझे इस - एस ऍम फरीद "भारती"

उसने जो चाहा था मुझे इस ख़ामुशी के बीच
मुझको किनारा मिल गया उस बेखुदी के बीच

घर में लगी जो आग तो लपटों के दरमियां

दूर तक जिसकी नज़र चुपचाप - एस ऍम फरीद "भारती"

दूर तक जिसकी नज़र चुपचाप जाती ही नहीं
हम समझते हैं समीक्षा उसको आती ही नहीं

आपका पिंजरा है दाना आपका तो क्या हुआ

गीत है दिल की सदा हर गीत - एस ऍम फरीद "भारती"

गीत है दिल की सदा हर गीत गाने के लिए
गुनगुनाने के लिए सबको सुनाने के लिए

ज़ख़्म रहता है कहीं और टीस उठती है कहीं

जो पत्थर तुमने मारा था मुझे - एस ऍम फरीद "भारती"

जो पत्थर तुमने मारा था मुझे नादान की तरह
उसी पत्थर को पूजा है किसी भगवान की तरह

तुम्हारी इन उँगलियों की छुअन मौजूद है उस पर

चाँदनी को क्या हुआ कि आग - एस ऍम फरीद "भारती"

चाँदनी को क्या हुआ कि आग बरसाने लगी
झुरमुटों को छोड़कर चिड़िया कहीं जाने लगी

पेड़ अब सहमे हुए हैं देखकर कुल्हाड़ियाँ

उस गुलाब से पूछो दर्द क्या - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) उस गुलाब से पूछो दर्द क्या होता हैं !
जो हर वक़्त खामोश ही रहता हैं !!
औरो को देता हैं पैगाम-ऐ-मोहब्बत !

एक हसीन पल की जरुरत - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) एक हसीन पल की जरुरत हैं हमें !
बीते कल की जरुरत हैं हमें....!!
सारा ज़माना रूठे तो रूठे !

झुकी हुई पलकों से उनका - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) झुकी हुई पलकों से उनका दीदार किया !
सब कुछ भुला के उनका इंतज़ार किया !!
वो जान ही न पाई जजबात मेरे.....!

इस जहाँ में मोहब्बत काश न होती - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) इस जहाँ में मोहब्बत काश न होती !
तो सफर-ऐ-जिंदगी में मिठास न होती !!
अगर मिलती बेवफा को सजाए मौत...!

आज वो फिर हमें याद आ रही हैं - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) आज वो फिर हमें याद आ रही हैं !
रह - रह कर हमें फिर से सता रही हैं !!
कहती थी सदा हँसते रहना आप....!

बेवफा होने का ताना न दिया करो- एस ऍम फरीद "भारती"


(१) बेवफा होने का ताना न दिया करो !
न मुझसे कोई सिकायत किया करो !!
तुमको क्या पता कितना याद करते हैं !

चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ- एस ऍम फरीद "भारती"


(१) चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ !
मैं खुद अपनी तवाही का जवाब हूँ...!!
यूँ निगाहें न फेरना मुझसे !

कहाँ वफा का सिला देते हैं लोग - एस ऍम फरीद "भारती"


(१) कहाँ वफा का सिला देते हैं लोग !
अब तो मोहब्बत की सजा देते हैं लोग !!
पहले सजाते हैं दिलो में चाहतों का ख्वाब !

जला देंगे अपने दिल को दिये - एस ऍम फरीद "भारती"


(१) जला देंगे अपने दिल  को दिये की तरह !
तेरी जिंदगी में रौशनी लाने के लिए.....!!
सह लेंगे चुभन को पैरों तले....!

कोई मिला ही नहीं जिसको - एस ऍम फरीद "भारती"


(१) कोई मिला ही नहीं जिसको वफ़ा देता !
हर एक ने धोखा दिया किस - किस को सजा देता !!
ये तो हम थे की चुप रह गए वर्ना......!

तेरी तस्वीर भी गजब सितम ढाती हैं - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) तेरी तस्वीर भी गजब सितम ढाती हैं !
देखू तो तेरी याद चली आती हैं.....!!
अब तू ही बता जालिम मैं क्या करू !

आप से जब हमारी यारी हो गई ! एस ऍम फरीद "भारती"

(१) आप से जब हमारी यारी हो गई !
दुनियाँ हमारी और भी प्यारी हो गई !!
इस से पहले किसी भी चीज के आदि न थे !

काली रात को पाने की जिद न करो ! एस ऍम फरीद "भारती"

 (१) काली रात को पाने की जिद न करो !
जो न हो अपना उसे अपनाने की जिद न करो !!
समुन्दर में तूफान बहुत आते हैं.......!

दिल प्यार में बेक़रार भी होता हैं ! एस ऍम फरीद "भारती"

(१) दिल प्यार में बेक़रार भी होता हैं !
दोस्ती में थोड़ा इंतज़ार भी होता हैं !!
होती नहीं प्यार में दोस्ती.....!

ताजमहल दर्द की इमारत हैं ! - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) ताजमहल दर्द की इमारत हैं !
जिसके निचे दफना किसी की मोहब्बत हैं !!
खुदा बन्दों पे करम इतना करना....!

दिल तो उसके सिने में भी मचलता होगा- एस ऍम फरीद "भारती"

(१) दिल तो उसके सिने में भी मचलता होगा !
हुस्न भी सौ - सौ रंग बदलता होगा.....!!
उठती होगी जब निगाहें उनकी........!

तू चमकती चाँद तेरी रौशनी अच्छी लगी - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) तू चमकती चाँद तेरी रौशनी अच्छी लगी !
तू मेरा अपना हैं तेरी दिल्लगी अच्छी लगी !!
तुझ से पहले तो न था जिंदगी का कुछ पता !

वफ़ा करते रहे हम इबादत की तरह - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) वफ़ा करते रहे हम इबादत की तरह !
फिर इबादत खुद एक गुनाह हो गई !!
कितना सुहाना था सफर जब साथ थी तुम !

कौन जाने कब मौत का पैगाम आ जाये

(१) कौन जाने कब मौत का पैगाम आ जाये !
जिंदगी की आखरी शाम आ जाये....!!
हम तो ढूंढते हैं वक्त ऐसा....!

दोस्ती तो एक झोका हैं हवा का ! एस ऍम फरीद "भारती"

(१) दोस्ती तो एक झोका हैं हवा का !
दोस्ती तो एक नाम हैं वफ़ा का...!!
औरो के लिए चाहे कुछ भी हो !