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Thursday, 19 April 2012

दूर तक जिसकी नज़र चुपचाप - एस ऍम फरीद "भारती"

दूर तक जिसकी नज़र चुपचाप जाती ही नहीं
हम समझते हैं समीक्षा उसको आती ही नहीं

आपका पिंजरा है दाना आपका तो क्या हुआ

गीत है दिल की सदा हर गीत - एस ऍम फरीद "भारती"

गीत है दिल की सदा हर गीत गाने के लिए
गुनगुनाने के लिए सबको सुनाने के लिए

ज़ख़्म रहता है कहीं और टीस उठती है कहीं

जो पत्थर तुमने मारा था मुझे - एस ऍम फरीद "भारती"

जो पत्थर तुमने मारा था मुझे नादान की तरह
उसी पत्थर को पूजा है किसी भगवान की तरह

तुम्हारी इन उँगलियों की छुअन मौजूद है उस पर

चाँदनी को क्या हुआ कि आग - एस ऍम फरीद "भारती"

चाँदनी को क्या हुआ कि आग बरसाने लगी
झुरमुटों को छोड़कर चिड़िया कहीं जाने लगी

पेड़ अब सहमे हुए हैं देखकर कुल्हाड़ियाँ

उस गुलाब से पूछो दर्द क्या - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) उस गुलाब से पूछो दर्द क्या होता हैं !
जो हर वक़्त खामोश ही रहता हैं !!
औरो को देता हैं पैगाम-ऐ-मोहब्बत !

एक हसीन पल की जरुरत - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) एक हसीन पल की जरुरत हैं हमें !
बीते कल की जरुरत हैं हमें....!!
सारा ज़माना रूठे तो रूठे !