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Sunday, 29 April 2012

ताज तेरे लिये इक मज़हर-ए-उल्फ़त[1]ही सही - साहिर लुधियानवी


ताज
ताज तेरे लिये इक मज़हर-ए-उल्फ़त[1]ही सही 
तुझको इस वादी-ए-रंगीं[2]से अक़ीदत[3] ही सही

अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश - साहिर लुधियानवी


साहिर लुधियानवी
अपने सीने से लगाये हुये उम्मीद की लाश
मुद्दतों ज़ीस्त को नाशाद किया है मैनें

Thursday, 19 April 2012

ज़िंदगी अभिशाप भी, वरदान - एस ऍम फरीद "भारती"

ज़िंदगी अभिशाप भी, वरदान भी
ज़िंदगी दुख में पला अरमान भी
कर्ज़ साँसों का चुकाती जा रही

ये दुनिया इस तरह क़ाबिल - एस ऍम फरीद "भारती"

ये दुनिया इस तरह क़ाबिल हुई है
कि अब इंसानियत ग़ाफ़िल हुई है

सहम कर चाँद बैठा आसमाँ में

जिनके दिल में गुबार रहते हैं - एस ऍम फरीद "भारती"

जिनके दिल में गुबार रहते हैं
यार वो बादाख़्वार रहते हैं

कि जहाँ ओहदेदार रहते हैं

अगरचे मोहब्बत जो धोखा - एस ऍम फरीद "भारती"

अगरचे मोहब्बत जो धोखा रही है
तो क्यों शमा इसकी हमेशा जली है

हमारे दिलों को वही अच्छे लगते