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Thursday, 19 April 2012

जिनके दिल में गुबार रहते हैं - एस ऍम फरीद "भारती"

जिनके दिल में गुबार रहते हैं
यार वो बादाख़्वार रहते हैं

कि जहाँ ओहदेदार रहते हैं

लोग उनके शिकार रहते हैं

पढ़ते लिखने में जो भी अव्वल थे
अब तो वो भी बेकार रहते हैं

मशवरा उनको कभी देना न
जो ज़हन से बीमार रहते हैं

किसी दौलत के ग़ार में देखो
वहाँ खुदगर्ज़ यार रहतै हैं

आजकल जिनके पास दौलत है
हुस्न के तल्बगार रहते हैं

किसी दफ़्तर के बड़े हाकिम ही
ऐश में गिरिफ़्तार रहते हैं...


एस ऍम फरीद "भारती"

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