Pages

Thursday, 19 April 2012

झुकी हुई पलकों से उनका - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) झुकी हुई पलकों से उनका दीदार किया !
सब कुछ भुला के उनका इंतज़ार किया !!
वो जान ही न पाई जजबात मेरे.....!

इस जहाँ में मोहब्बत काश न होती - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) इस जहाँ में मोहब्बत काश न होती !
तो सफर-ऐ-जिंदगी में मिठास न होती !!
अगर मिलती बेवफा को सजाए मौत...!

आज वो फिर हमें याद आ रही हैं - एस ऍम फरीद "भारती"

(१) आज वो फिर हमें याद आ रही हैं !
रह - रह कर हमें फिर से सता रही हैं !!
कहती थी सदा हँसते रहना आप....!

बेवफा होने का ताना न दिया करो- एस ऍम फरीद "भारती"


(१) बेवफा होने का ताना न दिया करो !
न मुझसे कोई सिकायत किया करो !!
तुमको क्या पता कितना याद करते हैं !

चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ- एस ऍम फरीद "भारती"


(१) चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ !
मैं खुद अपनी तवाही का जवाब हूँ...!!
यूँ निगाहें न फेरना मुझसे !

कहाँ वफा का सिला देते हैं लोग - एस ऍम फरीद "भारती"


(१) कहाँ वफा का सिला देते हैं लोग !
अब तो मोहब्बत की सजा देते हैं लोग !!
पहले सजाते हैं दिलो में चाहतों का ख्वाब !