(१) आज वो फिर हमें याद आ रही हैं !
रह - रह कर हमें फिर से सता रही हैं !!
कहती थी सदा हँसते रहना आप....!
और खुद ही अपनी याद से मेरा दिल जला रही हैं !!
(२) मेरी उजरी दुनियाँ को तू आबाद न कर !
बीते लम्हों को तू फिर से याद न कर !!
एक कैद परिंदे का हैं तुमसे यही कहना...!
मैं भूल चूका हूँ उरना मुझे फिर से आज़ाद न कर !!
(३) मैं खुद ज़मीन मेरा दिल आसमान का हैं !
टूट के भी मेरा हौसला चट्टान का हैं.....!!
बिछर के मैं उनसे इसलिए नहीं रोया !
वो कह गयी थी ये वक़्त इम्तहान का हैं !!
(४) प्यार मिलता हैं यहाँ किस्मत से !
हर किसी की किस्मत में वफा नहीं होती !!
जिन दिलों में मोहब्बत होती हैं....!
वहा नफरत की जगह नहीं होती !!
(५) कभी दर्द तो कभी दुवा दी हैं !
दिल का चैन आँखों की नींद उरा दी हैं !!
ये तेरी याद हैं या मेरे दर्द का इम्तहान !
जो पलकों के कतरों पे नमी सजा दी हैं !!
एस ऍम फरीद "भारती"
रह - रह कर हमें फिर से सता रही हैं !!
कहती थी सदा हँसते रहना आप....!
और खुद ही अपनी याद से मेरा दिल जला रही हैं !!
(२) मेरी उजरी दुनियाँ को तू आबाद न कर !
बीते लम्हों को तू फिर से याद न कर !!
एक कैद परिंदे का हैं तुमसे यही कहना...!
मैं भूल चूका हूँ उरना मुझे फिर से आज़ाद न कर !!
(३) मैं खुद ज़मीन मेरा दिल आसमान का हैं !
टूट के भी मेरा हौसला चट्टान का हैं.....!!
बिछर के मैं उनसे इसलिए नहीं रोया !
वो कह गयी थी ये वक़्त इम्तहान का हैं !!
(४) प्यार मिलता हैं यहाँ किस्मत से !
हर किसी की किस्मत में वफा नहीं होती !!
जिन दिलों में मोहब्बत होती हैं....!
वहा नफरत की जगह नहीं होती !!
(५) कभी दर्द तो कभी दुवा दी हैं !
दिल का चैन आँखों की नींद उरा दी हैं !!
ये तेरी याद हैं या मेरे दर्द का इम्तहान !
जो पलकों के कतरों पे नमी सजा दी हैं !!
एस ऍम फरीद "भारती"
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