Pages

Friday, 16 November 2012

जिंदगी मैं पहले ही ग़म क्या कम थे "फरीद"



Doston Ki Mehfil Main "Farid" Doston Ke Sath ? 
Main Khud Ko Talaash Karta Hoon Unki Nazar Se... New


जिंदगी मैं पहले ही ग़म क्या कम थे "फरीद", 
तुम भी उसी की याद दिलाने आ गये हो आज ...नया

हमको डुबोने के लिए पानी भी कम पढ़ जाता है "फरीद",
तुम चंद आंसुओं की बात करते हो मुझको डूबने के लिए ... न्यू


Muhabbat Ko Badnaam Hi Aise Kiya Jata Hai "Farid", 
Muhabbat Kya Hai Maloom Nahin Bol Sab Deete Hain... New


बहार की बात तो मोसम के साथ आनी जानी है "फरीद",
मौसम के साथ दरख़्त तो क्या इन्सान बदल जाते हैं ... नया

Woh Mujhko Itna Chahta Kyun Hai "Farid", 
Shayad Woh Naam Nahin Dilka Bhi "Wasi" Hai ... New

Wasihat Hi Karni Hai Tou "Wasi" Ki Tarhan Wasi Bhi Bano, 
Is Kanjusi Bhari Duniyan Ke Deewane Kyun Ho "Farid"... New


No comments:

Post a Comment

आपका बहुत बहुत शुक्रिया जल्द ही हम आपको इसका जवाब देंगे ...