आज की रात यूं ही गुज़र जाने दे
आज की रात यूं ही गुज़र जाने दे,
पहलू में नई शय उभर जाने दे।
तेरी रज़ा में ही मैं ढल जाऊँगा,
कतरा बनके मुझे बिखर जाने दे।
बहुत शोर मचा है जिंदगी में तो,
तन्हाई में भी तूफ़ान भर जाने दे।
यादों का आना जाना लगा रहेगा,
सीने में कुछ देर दर्द ठहर जाने दे।
अँधेरे की फितरत से वाकिफ हूँ,
आँगन में बस सहर उतर जाने दे।
आसमां जमीं पर ही उतर आएगा,
फलक को तह दर तह भर जाने दे।
मुर्दे में भी जान आ ही जाएगी,
एहसास से जरा उसे भर जाने दे।
आवाज़ देकर बुला लेना कभी भी "फरीद",
इस वक़्त मुझे पार उतर जाने दे।
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