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Saturday, 21 January 2012

मिटजाऊं वतन पर ये मेरे दिल मै लगन है
मिट जाऊं वतन पर ये मेरे दिल मै लगन है,
नजरो मै मेरी कब से तिरंगे का कफन है,,

हर गाम पडोसी को मेरे यू भी जलन है,
सोने कि है धरती यहाँ चॉदी का गगन है,,

मशहूर बनारस की है सुब्ह शाम ए अवध यू,
गालिब की गजल है कही मीरा का भजन है,,

जन्नत का लक्ब जिस को जमाने ने दिया है,
वो मेरा वतन मेरा वतन मेरा वतन है,,

पंजाब की रूत है कही कश्मीर की रंगत,
गंगा का मिलन है कही जमना का मिलन है,,

गॉधी तूझे भूले है ना चरखा तेरा भूले,
खादी को बनाने का यहॉ अब भी चलन है,,

‘‘फरीद’’ जिसने तुझ को बनाया मेरे वतन,
वो आज तेरी नीव मै गुमनाम दफन है ...

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