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Saturday 21 January 2012




ये आजमा के देख लिया इस जहान में,

ये आजमा के देख लिया इस जहान में,
रुसवाइयों का डर है फक्त झूठी शान में,,

में गुनहागार हूँ मेरी बख्शिश को ऐ खुदा,
हाफिज कुरान भेज मेरे खानदान में,,

खुशबू लबो की उस के ना बरसो बरस गई,
जिसने करी है गुफतुगू ऊर्द्व जबान मे,,
छोटे तुम्हे सलाम करे आला मानकर,
क्यो जी रहे हो आज मियॉ इस गुमान में,,

आदाब ए जिन्दगी को खरीदे कहा से वो,
जिस को दबा खजाना मिला हो मकान में,,

बोला अमीरे ए शहर यू कल मेरे कान में,
तुम भी कसीदा कह दो मियॉ मेरी शान मे,,

दुश्मन ने देखकर ही जिसे हार मान ली,
ये कैसा तीर आ गया मेरी कमान में,,

बेटी के हाथ पीले करे किस तरह गरीब,
भूखे है लोग माल के अब इस जहान मे,,

तुम छोड कर गये थे जहॉ जिस को जिस जगह,
यू ही सजी है चीज वो मेरे मकान में,,

में सोचने लगा था के शायद ही हम मिले,
देखा तुम्हे तो जान मेरी आई जान में,,

कहर ए खुदा से डर के सताओ यतीम को,
ताकत बडी है सोच लो इस बे जुबान में,,

‘‘फरीद’’ मिसरा दे के समझते है आज वो,
परवाज हम भी रखते है ऊँची उड़ान में ...

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