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Saturday, 21 January 2012


हरेक तालाब  की हिमायत करूंगा
हरेक तालाब  की हिमायत करूंगा,
समंदर मिला तो शिकायत करूंगा।

अगर आंच आई किसी जिंदगी पर,
हो अपना पराया हिफ़ाज़त करूंगा।

अभी तो ग़रीबों में मसरूफ हूँ मैं,
मिलेगी जो फुर्सत इबादत करूंगा।

तरक्की की ख़ातिर वो यूं कह रहा था,
मैं जिस्मों की खुलकर तिजारत करूंगा।

ज़मीर अपना बेचूं जो दौलत कमाउ,
अब इक रास्ता है सियासत करूंगा।

उसूलों पे अपने जो क़ायम रहेगा,
वो दुश्मन भी हो तो मुहब्बत करूंगा।

पड़ौसी पड़ौसी है हिंदू न मुस्लिम,
मैं बच्चो को यही हिदायत करूंगा।

क़लम जो लिखेगा वो बेबाक होगा,
अगर दिल ये माना सहाफत करूंगा।।

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