किताब आदमी को आदमी बनाती है
किताब आदमी को आदमी बनाती है,
बेकद्री इनकी दिल को जख्मी बनाती है।
किताब कोई कभी भी भारी नहीं होती,
किताब आदमी को पढना सिखाती है।
अदब आदमी जब सब भूल जाता है,
किताब ही तब तहजीब सिखाती है।
उसके हर सफ़े पर लिखी हुई इबारत,
सारी जिंदगी का एहसास दिलाती है।
किताबों के संग बुरा सलूक मत करना,
यह मिलने जुलने के ढंग सिखाती है।
कभी रुलाती है कभी बहुत हंसाती है,
"फरीद" नहीं किसी को ये कभी भरमाती है।
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