बेरुखी ऐसी की छिपाए न बने
बेरुखी ऐसी की छिपाए न बने,
बेबसी ऐसी की बताए न बने।
वो रु-ब-रु भी इस तरह से हुए,
उनको देखे न बने लजाए न बने।
उनके हाथों की हरारत नर्म सी,
हाथ छोड़े न बने सहलाए न बने।
चेहरा निखरता गया हर एक पल,
महक छिप न सके उडाए न बने।
वक्त अच्छा था गुज़र गया जल्दी,
याद आए न बने भुलाए न बने।
बहुत जानलेवा बना है "फरीद" सन्नाटा ,
घर रहते न बने कहीं जाते न बने।
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत शुक्रिया जल्द ही हम आपको इसका जवाब देंगे ...