जिन्दगी खूब बहुत खूब गुजारी मैने
जिन्दगी खूब बहुत खूब गुजारी मैने,
अपने अजदाद की पगडी भी सभाली मैने,,
ऐशो इशरत यू हर एक गाम मिली है मुझ को,
अपने मॉ बाप की कोई बात ना टाली मैने,,
दौरे हाजिर मै भटक जाये ना बच्चे मेरे,
इन को कुरआन की तालीम दिला दी मैने,,
कोई खामी ना नजर आई मुझे औरो मै,
जब नजर अपने गिरेबान पे डाली मैने,,
मुझ को हर सॉस हर एक लम्हा सताया फिर भी,
जिन्दगी तुझ से कभी हार ना मानी मैने,,
उसने जब मॉ को हिकारत की नजर से देखा,
मॉ को ले आया जमी भाई को दे दी मैने,,
आज रोने का सबब पूछ ना मुझ से बाबा,
यू ही झिडका था बहुत पहले सवाली मैने,,
ये नजर खाना ए काबा को छुएगी इक दिन,
हर बुरी शाह से नजर अपनी बचा ली मैने ..
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