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Thursday, 19 April 2012

बेमुरव्वत है मगर दिलबर है - एस ऍम फरीद "भारती"

बेमुरव्वत है मगर दिलबर है वो मेरे लिए
हीरे जैसा कीमती पत्थर है वो मेरे लिए

हर दफा उठकर झुकी उसकी नज़र तो यों लगा

प्यार के पैग़ाम का मंज़र है वो मेरे लिए

आईना उसने मेरा दरका दिया तो क्या हुआ
चाहतों का खूबसूरत घर है वो मेरे लिए

एक लम्हे के लिए खुदको भुलाया तो लगा
इस अंधेरी रात में रहबर है वो मेरे लिए

उसने तो मुझको जलाने की कसम खाई मगर
चिलचिलाती धूप में तरुवर है वो मेरे लिए

जिस्म छलनी कर दिया लेकिन मुझे लगता रहा
ज़िंदगी भर की दुआ का दर है वो मेरे लिए...


एस ऍम फरीद "भारती"

2 comments:

  1. http://shairo-shairy.blogspot.in/2012/04/blog-post_3230.html
    http://amreshsrivastava.blogspot.in/2011/10/blog-post_13.html

    उपर्युक्त दोनों लिंक्स में शब्द एक से हैं .... किसे सच मान लूँ .... किसे झूठ मान लूँ ....
    ऐसा क्यूँ होता है .... ? इतनी बेमुरव्वत लोग क्यूँ होते हैं .... ?

    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in/2013/06/blog-post_11.html

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  2. बहुत सुन्दर.बहुत बढ़िया लिखा है .शुभकामनायें आपको .
    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    http://madan-saxena.blogspot.in/
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आपका बहुत बहुत शुक्रिया जल्द ही हम आपको इसका जवाब देंगे ...