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Sunday 29 April 2012

ये कूचे ये नीलामघर दिलक़शी के- साहिर लुधियानवी


ये कूचे ये नीलामघर / साहिर लुधियानवी
ये कूचे ये नीलामघर दिलक़शी के
ये लुटते हुए कारवां ज़िंदगी के
कहां हैं कहां हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के

सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

ये पुरपेंच गलियां ये बेख़्वाब बाज़ार
ये गुमनाम राही ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे ये सौदों पे तकरार
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

तअफ्फुन से पुरनीम रौशन ये गलियां
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलियां
ये बिकती हुई खोखली रंगरलियां
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

वो उजले दरीचों में पायल की छनछन
तऩफ्फ़ुस की उलझन पे तबले की धनधन
ये बेरूह कमरों में खांसी की धनधन
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

ये गूंजे हुए कहकहे रास्तों पर
ये चारों तरफ भीड़ सी खिड़कियों पर
ये आवाज़ें खिंचते हुए आंचलों पर
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

ये फूलों के गजरे ये पीकों के छींटे
ये बेबाक़ नज़रें ये गुस्ताख़ फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

ये भूखी निगाहें हसीनों की जानिब
ये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिब
लपकते हुए पांव ज़ीनों की जानिब
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

यहां पीर भी आ चुके हैं जवां भी
तनूमंद बेटे भी अब्बा मियां भी
ये बीवी भी है और बहन भी है मां भी
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोदा की हमजिंस राधा की बेटी
पयंबर की उम्मत ज़ुलेख़ा की बेटी
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|

ज़रा मुल्क़ के रहबरों को बुलाओ
ये कूचे ये गलियां ये मंज़र दिखाओ
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ को लाओ
सना-ख़्वाने-तक़दीसे-मशरिक़ कहां हैं|


लेखक 'फरीद भारती' 

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