उससे बिछडके दिल को कुछ अजीब-सा लगा
पल-भर को सो गया मेरा नसीब-सा लगा
कुछ इस तरह ज़हन में उसकी बस गयी छुअन
वो दूर तो बहुत था पर करीब-सा लगा
- कविता'किरण
मेरे क़रीब से यूँ मेरी जिंदगी गुज़री
बचा के ख़ुद को किनारे से ज्यूँ नदी गुज़री
- कविता'किरण'
जो नज़र से लिखा-पढ़ा जाये,
मैं हूँ मजमून बस उसी ख़त का
दिल को जिसकी तलाश रहती है
मैं पता हूँ उसी मुहब्बत का
- कविता'किरण'
मुक़द्दर की अदालत में, सजाएं कम नहीं होतीं
मग़र फिर भी मेरे दिल की,खताएं कम नहीं होतीं
तसल्ली है "किरण"इतनी कि बस मेरे अज़ीज़ों की
मेरी ख़ातिर,मेरे हक में दुआएं कम नहीं होतीं
-कविता"किरण"
Muqaddar ki adaalat mein sazayen kam nahi hotin
magar phir bhi mere dil ki khatayen kam nahi hotin
tasallee hai "kiran" itni ki bas mere azizon ki
meri khatir,mere haq mein duayen kam nahi hotin
-kavita"kiran"
Juda hum ho gaye beshaq,magar ye such hai k ab bhi
tumhara naam sunte hi hamara dil dhadakta hai
-kavita'kiran'
Muddaton baad mulaqaat huyi hai unse,
aaj jee-bhar ke meri baat huyi hai unse..:)
-kavita'kiran'
Befikra karke khud ko har game-jahaan se
main jee rahi hun zindgi ko itminaan se
nakamiyon se aise munh na modiye huzoor
guzregi kamyaabi issi paydaan se..:)
-kavita'kiran'
Hona padega isko zamee'n se bhi ru-ba-ru
kab tak patang karegi hawaaon se guft-gu
-kavita'kiran'
न मुझमे मैं रहूँ बाक़ी, न तुझमे तू रहे बाक़ी
न हम में हम रहे बाक़ी ,मुहब्बत हो तो ऐसी हो
छुपा हो लाख पर्दों में समंदर नूर का लेकिन
उसे होना पड़े ज़ाहिर,इबादत हो तो ऐसी हो..:)
-कविता'किरण'
औरत के हवाले से एक शेर-
जल गयी तो मैं शमां हो जाऊँगी,
बुझ गयी तो फिर धुंआ हो जाऊँगी,
सह रही हूँ,जब तलक धरती हूँ मैं,
उठ गयी तो आस्मां हो जाऊँगी
-कविता'किरण
गीली माचिस, थी तीली में शीतलता
बिन बाती बिन तेल दीप कैसे जलता
मन से कोशिश की न मंजिल पाने की
मनचाहा परिणाम भला कैसे मिलता
-कविता'किरण'
Meri saanson mein ru-ba-ru ho ja
mere jeene ki aarzoo ho ja
har taraf tu hi tu dikhaayi de
her taraf sirf tu hi tu ho ja
-kavita'kiran
तुझी से हर ख़ुशी जिंदा है ए दिल!,
तुझी से जिंदगी दुश्वार भी है,
तुझी से मैं बहुत बेज़ार भी हूँ,
तुझी से मुझको लेकिन प्यार भी है
-कविता'किरण'
Pal do pal ka nahi ye kissa hai
tu meri zindagi ka hissa hai
-kavita'kiran'
ख़ुदकुशी कब का कर चुका होता
तू जो मेरी तरह जिया होता
ला के देता ख़ुशी के ख़त हर दिन
काश! ये वक़्त डाकिया होता
-कविता'किरण'
Jo hamein na-pasand karte hain
ham unhe bhi pasand karte hain
sath rakhte hain apni manzil ko
aur iraade buland rakhte hain
-kavita'kiran'
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