अब आए या न आए इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उनकी नज़र पूछते चलो
हम से अगर है तर्क-ए-ताल्लुक़ तो क्या हुआ
यारो ! कोई तो उनकी ख़बर पूछते चलो
जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल शनास हैं
उनको भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो
किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं हम
ऐ रहरवान-ए-ख़ाक बसर पूछते चलो
लेखक 'फरीद भारती'
No comments:
Post a Comment
आपका बहुत बहुत शुक्रिया जल्द ही हम आपको इसका जवाब देंगे ...