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Thursday, 8 March 2012

Ajay Agyat-बात को आपने उछाल दिया


Ajay Agyat
बात को आपने उछाल दिया
फिर मुझे मुश्किलों में डाल दिया

दे के दुश्मन ने इक चुनौती मुझे
फिर नसों में लहू उबाल दिया
हल किसी ने कभी दिया न कोई
प्रश्न मेरा मुझी पे टाल दिया
मुझ को लगने लगे सभी अपने
दिल से जब बैर को निकाल दिया
वक़्त को हम बदल न पाए कभी
खुद को सांचे में इसके ढाल दिया...



Ajay Agyat
करता हूँ पेश आप को नजराना ए ग़ज़ल
नायाब मुश्कबार ये गुलदस्ता ए ग़ज़ल
तल्खाबे ग़म न पीजिये हो तश्नगी अगर
भर भर के जाम पीजिये पैमाना ए ग़ज़ल
करना जो चाहते हो हकीकत से सामना
रक्खो ज़रा सा सामने आइना ए ग़ज़ल
मतले से ले के मक्ते तलक डूब कर कहा
कहते हैं लोग मुझ को तो दीवाना ए ग़ज़ल
ज्यूँ ही ग़ज़ल की शमा को रौशन किया तभी
उड़ कर कहीं से आ गया परवाना ए ग़ज़ल
जब से ग़ज़ल को माँ का सा दर्ज़ा दिया मुझे
जग ने ख़िताब दे दिया शहज़ादा ए ग़ज़ल
मुश्किल था काम फिर भी मगर एक शेर में
अज्ञात ने सुना दिया अफसाना ए ग़ज़ल..

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