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Thursday, 8 March 2012

Dilshad Saifi -ऐशो इशरत यू हर एक गाम मिली है मुझ को


Dilshad Saifi 
बेटी के हाथ पीले करे किस तरह गरीब
भूखे है लोग माल के अब इस जहान मे



Dilshad Saifi
ऐशो इशरत यू हर एक गाम मिली है मुझ को
अपने मॉ बाप की कोई बात ना टाली मैने




Dilshad Saifi
कोई खामी ना नजर आई मुझे औरो मै
जब नजर अपने गिरेबान पे डाली मैने




Dilshad Saifi

झूठ का लेकर सहारा जो उबर जाऊँगा 
मौत आने से नहीं शर्म से मर जाऊँगा


सख़्त जाँ हो गया तूफानों से टकराने पर
लोग समझते थे कि तिनकों सा बिखर जाऊँगा


है यक़ीं लौट के आऊँगा मैं फ़तेह बनकर 
सर हथेली पे लिए अपना जिधर जाऊँगा


सिर्फ़ ज़र्रा हूँ अगर देखिए मेरी जानिब
सारी दुनिया में मगर रोशनी कर जाऊँगा 


कुछ निशानात हैं राहों में तो जारी है सफ़र
ये निशानात न होंगे तो किधर जाऊँगा 


जब तलक मुझमें रवानी है तो दरिया हूँ 'अज़ीज़'
मैं समंदर में जो उतरूँगा तो मर जाऊँगा





Dilshad Saifi
ये नजर खाना ए काबा को छुएगी इक दिन
हर बुरी शाह से नजर अपनी बचा ली मैने




Dilshad Saifi
Jab Rooh Kisi Bojh Se Thak Jaati Hai
Ahsaas Ki Lo Aur Bhi Barh Jaati Hai
Mai Barhta Hun Zindagi Ki Janib Lekin
Zanjeer Si Paon Mai Chanak Jaati Hai..


"Dilshad Saifi"

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