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Thursday, 8 March 2012

Huma Kanpuri-एक बेहद मामूली पुरानी गज़ल-


Huma Kanpuri
एक बेहद मामूली पुरानी गज़ल-
मिल गए तुम जो यार होली में,

ख़ूब बरसेगा प्यार होली में.

होशियारी हो कम से कम इतनी,
हों न हम शर्मसार होली में. *शर्मसार= शर्मिंदा 

हमने हर रास्ते में देखी है,
इक अनोखी बहार होली में.

दुश्मनो ! आओ तुमको पहना दें,
अपनी चाहत के हार होली में.

चाहतों का गुलाल बरसेगा,
हर तरफ़, बेशुमार होली में.

भाँग जैसा है नश्श-ए-कुर्बत, *नश्श-ए-कुर्बत= सामीप्य का नशा 
दिल प' क्या इख्तियार होली में !

उनकी आमद से रंग-रंग हुआ, *आमद= आगमन 
मेरा सूना दियार होली में. *दियार= घर 

जितनी कड़वाहटें हों, मिट जाएँ,
कर मुहब्बत के वार होली में.

कोई तो है जिसे पुकारता है,
दिल "हुमा" बार-बार होली में.

- हृदयेश शुक्ल "हुमा" कानपुरी (भोपाल) 

Ek behad m'amoolee puraanee Gazal-

Mil gaye tum jo yaar Holi mei'n'
Khoob barsegaa pyaar Holi mei'n.

Hoshiyaaree ho kam se kam itnee,
Ho'n n ham sharmsaar Holi mei'n.

Hamne har raaste mei'n dekhee hai,
Ek anokhee bahaar Holi mei'n.

Dushmano ! aao, tumko pahna de'n,
Apnee chaahat ke haar Holi mei'n.

Chaahto'n kaa gulaal barsegaa,
Har taraf, be-shumaar Holi mei'n.

Bhaa'ng jaisaa hai nashsh-e-qurbat,
Dil p' kya ikhtiyaar Holi mei'n.

Unkee aamad se rang-rang hua,
Meraa soona diyaar Holi mei'n.

Jitnee karwaahate'n ho'n mit jaaye'n,
Kar muhabbat ke waar Holi mei'n.

Koee to hai jise pukaartaa hai,
Dil "Huma" baar-baar Holi mei'n.

- "Huma" Kanpuri (Bhopal)

1 comment:

आपका बहुत बहुत शुक्रिया जल्द ही हम आपको इसका जवाब देंगे ...