Huma Kanpuri
एक बेहद मामूली पुरानी गज़ल-
मिल गए तुम जो यार होली में,
ख़ूब बरसेगा प्यार होली में.
होशियारी हो कम से कम इतनी,
हों न हम शर्मसार होली में. *शर्मसार= शर्मिंदा
हमने हर रास्ते में देखी है,
इक अनोखी बहार होली में.
दुश्मनो ! आओ तुमको पहना दें,
अपनी चाहत के हार होली में.
चाहतों का गुलाल बरसेगा,
हर तरफ़, बेशुमार होली में.
भाँग जैसा है नश्श-ए-कुर्बत, *नश्श-ए-कुर्बत= सामीप्य का नशा
दिल प' क्या इख्तियार होली में !
उनकी आमद से रंग-रंग हुआ, *आमद= आगमन
मेरा सूना दियार होली में. *दियार= घर
जितनी कड़वाहटें हों, मिट जाएँ,
कर मुहब्बत के वार होली में.
कोई तो है जिसे पुकारता है,
दिल "हुमा" बार-बार होली में.
- हृदयेश शुक्ल "हुमा" कानपुरी (भोपाल)
Ek behad m'amoolee puraanee Gazal-
Mil gaye tum jo yaar Holi mei'n'
Khoob barsegaa pyaar Holi mei'n.
Hoshiyaaree ho kam se kam itnee,
Ho'n n ham sharmsaar Holi mei'n.
Hamne har raaste mei'n dekhee hai,
Ek anokhee bahaar Holi mei'n.
Dushmano ! aao, tumko pahna de'n,
Apnee chaahat ke haar Holi mei'n.
Chaahto'n kaa gulaal barsegaa,
Har taraf, be-shumaar Holi mei'n.
Bhaa'ng jaisaa hai nashsh-e-qurbat,
Dil p' kya ikhtiyaar Holi mei'n.
Unkee aamad se rang-rang hua,
Meraa soona diyaar Holi mei'n.
Jitnee karwaahate'n ho'n mit jaaye'n,
Kar muhabbat ke waar Holi mei'n.
Koee to hai jise pukaartaa hai,
Dil "Huma" baar-baar Holi mei'n.
- "Huma" Kanpuri (Bhopal)
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